
इश्क़ किय कि अब कुछ काम नहीं होता,
हाँ अब घर में रहकर भी आराम नहीं होता।
वो आए और नए सिले से आगाज़ करें,
पर उन से इश्क़ का एहतिराम नहीं होता।
टूटे तो टूट जाए हट जाए बला मेरे सर से,
यूँ तो मुझ से भी इश्क़ तमाम नहीं होता।
कोई तो समझाए उन्हें
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