
सुबह सुबह जब
आती हो तुम
हाथों में लेकर चाय I
सोचता हूँ, काश !
होता मैं प्याली
और तुम चम्मच
शक्कर वाली,
तो रोज़ रोज़ ही तुम
मुझ में डूब डूब कर,
लगाती दो चार चक्कर I
नाज़ करते हम अक्सर
अपनी इस
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सुबह सुबह जब
आती हो तुम
हाथों में लेकर चाय I
सोचता हूँ, काश !
होता मैं प्याली
और तुम चम्मच
शक्कर वाली,
तो रोज़ रोज़ ही तुम
मुझ में डूब डूब कर,
लगाती दो चार चक्कर I
नाज़ करते हम अक्सर
अपनी इस