
सूनी कर गए धरती कला की
नृत्य का अनंत फ़लक
थमते नहीं थे कदम जिनके
गूँजती थी घुँघरुओं की खनक
झूम झूम, हर ताल पे यूँ
करते थे "कथक" अथक
दीवान
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सूनी कर गए धरती कला की
नृत्य का अनंत फ़लक
थमते नहीं थे कदम जिनके
गूँजती थी घुँघरुओं की खनक
झूम झूम, हर ताल पे यूँ
करते थे "कथक" अथक
दीवान