इब्तिदा तुम ही उल्फ़त की, आख़िरी प्यार भी तुम's image
20K

इब्तिदा तुम ही उल्फ़त की, आख़िरी प्यार भी तुम

मैं अच्छा लिखता हूँ अगर
तो मेरी लेखनी का सार तुम हो
मैं अच्छा गाता हूँ अगर
तो मेरे स्वर का निखार हो तुम
मैं अच्छा कहता हूँ अगर
तो मेरे लफ़्ज़ों का श्रृंगार हो तुम
मैं अच्छा सोचता हूँ अगर
तो

Read More! Earn More! Learn More!