हालातों की ठोकरें खा कर
घायल हो जाता है
जब कोई विचार
और तड़पता रहता है
ज़ेहन के व्यस्त रस्ते पर
तो इससे पहले कि,
तोड़ न दे दम कहीं !
उसे कलम
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हालातों की ठोकरें खा कर
घायल हो जाता है
जब कोई विचार
और तड़पता रहता है
ज़ेहन के व्यस्त रस्ते पर
तो इससे पहले कि,
तोड़ न दे दम कहीं !
उसे कलम