बोली जीतती अंतर्मन
बोली करवाती अनबन
बोली जोड़ती दिलों के तार
बोली लगवाती फटकार
चलाए पांचाली ने व्यंग्य वाण
कहा ... "अंधे का पुत्र अंधा"
हुआ चोटिल
दुर्योधन का आत्मसम्मान
प्रतिशोध दिखा ...
भरी सभा में चीर-हरण
द्रौपदी का घोर अपमान
शिशुपाल की अभद्र भाषा पर,
श्रीकृष्ण देते रहे क्षमादान
दुष्ट ने अपनी कटु वाणी को<
Read More! Earn More! Learn More!