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दिल हमारा दिल बहलाने कि चीज़ थी - रेहान कटरावाले

ना इन महफ़िलों से ना इन मयकदों से वास्ता था मेरा,

दूर था इस मतलबपरस्त ज़माने से जब तुम मेरे करीब थी।


साथ भी थे और कोई रिश्ता भी नही था दर्मियां हमारे,

सोचता हूं के मोहब्बत अपनी भी कितनी अजीब थी।


था यकीन के आवाज़ देकर रोक लोगे तुम मुझे,

अफ्सोस जहां से लौट आया मैं वो तुम्हारे घर कि देहलीज़ थी।


बड़ी आसानी से जाने दिया तुमने मुझे इस मौसम कि तरह,

जैसे दिल मेरा कोई दिल बहलाने कि चीज़ थी।


हम तो सजाए बैठे थे अरमान फ़ना होने क

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