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फँसन और निकलन

हर बार निकलना चाहे मन,
हर बार ये फंसता जाता है |

इसी फँसन और निकलन में,
ये जीवन ही बिता जाता है | 

हर बार जताना चाहे प्यार,
हर बार ही क्यूँ घबराता है |

इसी फँसन और निकलन में,
ये इश्क़ भी चलता जाता है |

हर बार ही उड़ना चाहे मन,
हर बार ये गिरता जाता है |

इसी फँसन और निकलन में,
ये
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