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मेरी आकांक्षा

नभ के जैसा उत्कृष्ट हो मन, 

हो ह्रदय अथाह समन्दर सा। 

आभा मंडल हो शिखरों सा,

हो देंह समस्त भूमण्डल सा। 


गायन में हो बीणा का स्वर,

हो दहाड़ सिंह के गर्जन सा। 

बानी में ज्ञान की धारा हो,

हो स्वरुप पूरा सुदर्शन सा। 


चलें तो जैसे गज मतवाला,

हो धरा में ध्वनि करतल सा। 

वेग पवन प्रकाश अश्व सा हो,<

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