![धुआं या मिट्टी हो जाना है's image](https://kavishala-ejf3d2fngme3ftfu.z03.azurefd.net/kavishalalabs/post_pics/%40ravindra-rajdar/None/Rajdar_08-10-2021_16-03-28-PM.jpg)
क्या करियेगा जनाब आसमां को छू के,
आखिर में तो इस ज़मीं पर ही आना है।
मजा उठा सकते हो तो उठाओ जमीं का,
इक दिन तो धुआं या मिट्टी हो जाना है।
दूर जो उड़ गए तो घोसला भूल जाओगे ,
नया बना के रहने वाले कहाँ से लाओगे।
रह क्युँ नही जाते जहाँ आपका ज़माना है,
इक दिन तो धुआं या मिट्टी हो जाना है।
मत कहना की दिल है की मानता नही,
समझाइये इसे ये दिल सब जानता नही।
दिल समझ गया तो किसको समझाना है,
इक दिन तो धुआं या मिट
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