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धर्मपत्नी


मेरी ज़िंदगी में आकर अहसान कर दिया
जीवन में मेरे प्यार और सम्मान भर दिया
लक्ष्मी है खुद घर की, फिर भी मुझे पूजा
इंसान भी न था, मुझे भगवान कर दिया

मायके का घर और परिवार भी छोड़ा
ससुराल में आकर के नए रिश्तों को जोड़ा
ज़िम्मेदारी का मुझे, अहसास दिलाया
खोया अगर कभी तो, विश्वास जगाया
पूरी ज़िंदगी को अपनी, मेरे नाम कर दिया
इंसान भी न था, मुझे भगवान कर दिया

तुमने ही घर को रत्न इक, अनमोल है दिया<

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