
धीर हो तुम वीर हो, इस देश की तक़दीर हो
खेलो तुम जी जान से, और मन लगाकर के पढ़ो
लक्ष्य हो जीवन को जो, उसके लिए खुद को गढ़ों
छूना है तुमको बुलंदी, आसमां की इसलिए
व्यर्थ की बातों को रखकर के परे, आगे बढ़ो
जो भेद दे हर लक्ष्य को गाण्डीव का वो तीर हो
धीर हो तुम वीर हो, इस देश की तक़दीर हो
चित्त हो Constant और बुद्धि सदा Active रहे
निज स्वार्थ का केवल नहीं परमार्थ का Motive रहे
ख्वाब देखो फिर उन्हें
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