
आ मेरी आग़ोश में शर्म-ओ-हया को छोड़कर
दरमियाँ जो हैं हमारे उन हदों को तोड़कर
आज ये जो पल मिले है खुश-नसीबी से हमें
प्यार कर बस प्यार कर, तू आज मुझको प्यार कर
भूलकर सारे जहाँ को आज मुझको प्यार कर
इन चराग़ों को बुझा दो, है ये मुखड़ा चाँद सा
जल रहे जब दो बदन तो, रोशनी का काम क्या
मुझको अपनी बाहों के, घेरे में ले अब थाम तू
मैं रहूँ न होश में, ऐसे पिला दे जाम तू
नाम लिख दूँ मैं लबों से, इस सु
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