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अधूरी कहानी न पुछिए

क्यूँ ख़ुश्क है इन आंखों का पानी न पूछिए
राजा को क्यूँ नहीं मिली रानी न पूछिए
कहने को तो, दो जिस्म और इक जान थे फिर भी
क्यूँ रह गई अधूरी कहानी न पूछिए

हद से भी ग़ुजर सकती थी, जानिब मेरे लिए
पगली थी कितनी मेरी दीवानी न पूछिए

आँखों से जान लेती थी, मेरे दिल का हाल सब <

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