लब्ज़ अब आते ही नहीं इस जुबान पे
कहाँ की तपती धूप में सब कुछ पिघल गया
सिवाय उनके दिलों दिमाग के
जज़्बात जिंदा ही नहीं अब इंसान में
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लब्ज़ अब आते ही नहीं इस जुबान पे
कहाँ की तपती धूप में सब कुछ पिघल गया
सिवाय उनके दिलों दिमाग के
जज़्बात जिंदा ही नहीं अब इंसान में