याद कोई पुरानी सी है
किसी कोने की तख्तियो से झांकि सी है
वो कल ही था जब हम बेसुध से भागे थे
कभी घर के दिवारों से फांदे थे
और कभी अतरंगी स
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याद कोई पुरानी सी है
किसी कोने की तख्तियो से झांकि सी है
वो कल ही था जब हम बेसुध से भागे थे
कभी घर के दिवारों से फांदे थे
और कभी अतरंगी स