
शब्द हो मेरी कविता की, तुम
एक गजल सी लगती हो l
धार हो जीवन सरिता की, तुम
मेरे साथ साथ बहती हो l
फूलों में जैसे रजनीगंधा, तुम
मन को महकाती हो l
नदियों में जैसे गंगा, तुम
हृदय को पावन कर जाती हो l
पतझड़ में बाहर सी, तुम
मुझको
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