धूप के ढलने तक,
चाँद के निकलने तक,
तुम्हारे ऑफ़िस से लौट आने तक,
तुम्हारे लिये तड़पता है, दिल मेरा।
कैसे संमझाऊँ तुम्हें कि,
इंतज़ार रहता है तेरा।
रात ढलती नहीं, नींद आती नहीं,
तेरा ख्याल जाता नहीं, जुदाई रास आती नहीं,
चैन को खोकर, तुमसे रिश्ता जोड़कर,
बिरह की अग्नि में, जलता है दिल मेरा।
कैसे समझाऊँ तुम्हें कि,
इंतज़ार रहता है तेरा।
यू तो
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