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अपने मन की मीरा मैं

उम्र भर की प्यास का,
क्या हिसाब लगाऊं l
तेरे ही प्रेम के दरिया में,
मै, बार -बार डुबकी लगाऊं l

वंदना करू, तेरी चरणों की,
प्रेम पुष्प तुम पर चढ़ाऊँ l
हृदय पर है साम्राज्य तुम्हारा,
क्यों किसी और से प्रीत लगाऊं l

मन की चन्चलता तुमसे,
तुम्हें ही मन का भेद बताऊँ l
प्रेम है मुझे तुमस

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