
अंबर से मेघ बरसता है l
मन भीगनें को तरसता है l
कुहरा से भर जाता है भोर,
जंगल में नाचता है मोर,
थिरकती है पानी की बूंदे,
धरती का सौन्दर्य निखरता है l
अंबर से मेघ बरसता है l
मन भीगनें को तरसता है l
बादल की छावँ में,
अपने ही गाँव में,
देवालय का शीर्
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