
वो साये हल्के से धुधले से हो कितने भी,
खुद में चाहे कितने उल्झे भी
पर है वजूद अनंत और अंजान सा।
” Rashid Ali
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वो साये हल्के से धुधले से हो कितने भी,
खुद में चाहे कितने उल्झे भी
पर है वजूद अनंत और अंजान सा।
” Rashid Ali