
एक था राजा एक थी,
रानी चलो सुनाऊं तुम्हें कहानी,
राजा जो था बड़ा गुमानी,
रानी थी परियों से सयानी,
राजा था महलों का वासी,
जंगल की थी रानी निवासी,
राजा का हुकुम सर आंखों पर होता,
मगर रानी जो थी उसकी कोई न सुनता,
राजा को थी प्रजा प्यारी,
रानी अपनी धुन में न्यारी,
चलो सुनाऊं तुम्हें कहानी,
एक था राजा एक थी रानी।
एक दिन राजा यूं निकला था आखेट पर,
चार सिपाही और चला घोड़े पर बैठकर,
घुसकर जंगल में तीर उसने चलाया,
न जाने किस ने हिरण को वहां से भगाया,
चलाने की दूसरा बाण राजा ने की तैयारी,
हड़बड़ाहट में खुद के घोड़े को ही तीर मारी,
घोड़ा अब तो देखो पवन वेग सा दौड़ गया,
राजा का दस्ता और सिपाही पीछे वह तो छोड़ गया,
राजा झाड़ियों में लहूलुहान सा हो गया,
गिर पड़ा पत्थर पर अब वह तो मूर्छित जो हो गया,
अब
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