
कहने को मेरे जिस्म का हिस्सा है ये दिल
पर तेरे ही इशारे पे तो चलता है ये दिल
कह दूँ मैं जितनी भी तेरे गुनाह की बातें
बस इक तेरे ही हक़ में कहता है ये दिल
चेहरे की मुस्कान से जलती है इक दुनिया
इक दुनिया में
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