
जो गर तुझे भी मुझसे मोहब्बत होती इतनी
तो मेरे हर लहज़े में शिकायत न होती इतनी
तेरी इन आँखों की झीलों में मैं तैर जाऊँ
तैर भी मैं जाऊँ गर ये गहरी न होती इतनी
इश्क में तो दोनों दिलों की ही मशक्कत लगती है
खींच लेती तुझे
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