
नाम तक याद नहीं अब उसका यूँ ज़िन्दगी से निकाला हमने
कुछ साल भिगो कर अश्कों से पन्ना सफ़ेद कर डाला हमने
खुलती बंद आँखों में उसका ही चेहरा रहता था हर पल
आँखों पर लगा कर चश्मा उसका चेहरा छिपा डाला हमने
अब तो महकने लगे हैं पहले से भी कहीं ज़्यादा हम
लग
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