ख्यालों में इक गुलाब आया
जज़्बों का जब सैलाब आया
बढ़ा मैं जब भी उसको छूने
काँटों का तब ख़याल आया
जब भी तुझको पाना चाहा
ये दरमियाँ फिर सवाल आया
क्यूँ ये ज़ंज़ीर
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ख्यालों में इक गुलाब आया
जज़्बों का जब सैलाब आया
बढ़ा मैं जब भी उसको छूने
काँटों का तब ख़याल आया
जब भी तुझको पाना चाहा
ये दरमियाँ फिर सवाल आया
क्यूँ ये ज़ंज़ीर