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घूम रहे थे तारों में

घूम रहे थे तारों में तुझसे मिलने का ख़्वाब लिए
किस्मत का फेर ऐसा कोई तारा टुटा ही नहीं

खा लूँ मैं सारी कसमें कर लूँ मैं सारे जतन
पर मनाऊँ किसको कोई अपना रूठा ही नहीं

बढ़ तो जाऊँ मैं आगे हैं रास्ते तो बोहत
दिल है इक

Tag: ghazal और1 अन्य
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