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दिल को छेड़ा तो

दिल को छेड़ा तो कई ज़ख्म पुराने निकले
फिर से कुछ तो मिलने के बहाने निकले

तू कर गिला ही मुझ से तो सुकूँ आता है
किसी तरह तो ये दिल तुम दिखाने निकले

क्यूँ ये नब्ज़ की रवानी बड़ी जाती है
दो ही पल

Tag: ghazal और1 अन्य
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