बंद पलकों में वो बस मेरा नज़र आता है
पलकें खुलते ही ये बस नज़र का धोखा है
लोग कहते हैं माहताब की ठंडक है वो
ताप आफ़ताब सा है छू के मैंने देखा है
हो के मेरा अब वो कहीं भी न जा पायेगा
क्या ख़बर थी व
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बंद पलकों में वो बस मेरा नज़र आता है
पलकें खुलते ही ये बस नज़र का धोखा है
लोग कहते हैं माहताब की ठंडक है वो
ताप आफ़ताब सा है छू के मैंने देखा है
हो के मेरा अब वो कहीं भी न जा पायेगा
क्या ख़बर थी व