
मौसम ने करवट ली है, क्या आज दिलों की सुन लूं
बहारों ने की है इबादत, क्या आज फूलों की सुन लूं
ये आशियां सो रहा है कब से सुबह की रोशनी में नहाया
घुटती सांसों ने की है कुछ बात, क्या आज खामोशियों की सुन लूं
वो चले गए तपती दोपहर में, शाम का इंतजार तो किया होता
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