
केसरिया बालम पधारो म्हारे देस’
नयना पुलकित, फिर उर में कैसी ठेस
कैसी झूमी घर आंगन, अमिया की बौर
मन की सुनी कभी न, सावन को नही ठौर
मुंडेर पर भोर बुलावे, दुनिया को रात दिन शोर
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केसरिया बालम पधारो म्हारे देस’
नयना पुलकित, फिर उर में कैसी ठेस
कैसी झूमी घर आंगन, अमिया की बौर
मन की सुनी कभी न, सावन को नही ठौर
मुंडेर पर भोर बुलावे, दुनिया को रात दिन शोर