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वक्त ऐसा भी नहीं कि मेहरबाँ होने नहीं देता

वक्त ऐसा भी नहीं कि मेहरबाँ होने नहीं देता 

बस जहाँ ज़रूरत हो, वहाँ होने नहीं देता


आदम की तरक़्क़ी का भी अजब जलवा है

ये पानी, ज़मीं और आसमाँ होने नहीं देता  


इस जहाँ की यही रीत है कि अपनी जवानी में

चमन भी बागबाँ को बागबाँ होने नहीं देता


ये "

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