
अब कुछ यूँ कर कि यूँ मिल मुझसे
अबके मिल तो हू-ब-हू मिल मुझसे
कब तलक छुपाएगी रुख़ ए हयात
सवाल कई हैं रू-ब-रू मिल मुझसे
अरमाँ मेरे मैं निहत्थे लेता आऊँगा
है गर तेरा इरादा-ए-खूँ मिल मुझसे
चिरैया आँगन से
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अब कुछ यूँ कर कि यूँ मिल मुझसे
अबके मिल तो हू-ब-हू मिल मुझसे
कब तलक छुपाएगी रुख़ ए हयात
सवाल कई हैं रू-ब-रू मिल मुझसे
अरमाँ मेरे मैं निहत्थे लेता आऊँगा
है गर तेरा इरादा-ए-खूँ मिल मुझसे
चिरैया आँगन से