
कविता ऐसी होनी चाहिए
जिसकी तहें खोल कर
शॉल की तरह ओढा जा सके
एक चादर के जैसे बिछाया भी जा सके
जिसे रबर के जैसे खींच कर
Read More! Earn More! Learn More!
कविता ऐसी होनी चाहिए
जिसकी तहें खोल कर
शॉल की तरह ओढा जा सके
एक चादर के जैसे बिछाया भी जा सके
जिसे रबर के जैसे खींच कर
Read More! Earn More! Learn More!