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जब हम मिलना बंद कर देंगे, तब हम चाँद पर मिलेंगे - राजेश तैलंग

बातों के बीच आ जाती 

असहज चुप्पियों में

प्रेम प्रस्ताव रखता हूँ मैं

तुम चुपचाप ही 

सहजता से

उसे ठुकरा देती हो

हमेशा

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गुल्लक बड़ी नाज़ुक होती है,

मज़बूत होता है

न तोड़ने का इरादा

महफूज़ रख

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