
ये दुनिया है रंगमंच और हम खेल रहे हैं खेला,
जाएगा तो, ना जाएगा, तेरे संग इक ढेला।
राम नाम की ओढ़ चदरिया, क्यों मन करे तू मैला,
क्यों करता विस्तार है अपना, क्यों है जगत में फैला?
कर छोटा तू इतना ख़ुद को, संग रहे ना कोई चेला,
मन में भगवद ध्यान हो तेरे, जगत, जगत का मेला।
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