रविवार सुबह की दिमागी कसरत
गुड मोर्निंग इंडिया। नींद टूटे हुए एक घंटा हो गया है। रात सोते वक्त मैंने पत्नी से कहा था कि मुझे सुबह सोने देना देर तक, काफी दिन हो गए चैन से नहीं सो पा रहा।
आजकल रविवार तो हफ्ते का सबसे व्यस्त दिन हो गया है। एक रविवार और कितने काम। आदमी दिनचर्या तो बनाता है पर उस पर अमल करना वास्तव में बहुत आसान नहीं है। क्योंकि आदमी खुद पर नियंत्रण कर सकता है लेकिन उसकी निर्भरता बहुत बढ़ चुकी है।
आज मेरी नींद पक्षियों की चहचहाहट से खुली। आप सोचेंगे कि दिल्ली में और पक्षियों की चहचहाहट? एनडीपीएल वालों ने नया मीटर लगाया है डिजिटल और पुराना मीटर का डिब्बा अपना स्थान जमाए हुए है। एक चिड़िया ने उस पर अपना कब्जा जमाया और अपना घोंसला सजा लिया। एमसीडी वाले प्लीज उन्हें प्रॉपर्टी टैक्स के दायरे में न लाएं। ना ही अनाधिकृत निर्माण ही घोषित करें।
दिल्ली में घोंसला बनाने की सोचना भी मध्यम वर्ग के वश की बात नहीं। कहीं से जोड़-तोड़ कर किसी अनाधिकृत जमीन पर, किसी अघोषित कॉलोनी में 30-40 गज में अपना मकान बनाता तो है पर एमसीडी का बुलडोजर उसे हमेशा सपनों में डराता रहता है।
सरकारी अधिकृत प्लॉटों, फ्लैटों और झुग्गियों तक की ऐसी बंदरबांट होती है कि अब तो एक आम इंसान फार्म भरने से कतराने लगा है। डीडीए एक हज़ार फ्लैटों के लिए 1 लाख फार्म बेचता है 100 रुपयों की कीमत से, एक करोड़ तो सिर्फ फार्म बेचकर आ गए। अब तो मुझे एक बात और समझ आती है क्या इनकी बैंकों के साथ भी सांठगांठ है? बैंक ब्याज काफी बनाते हैं इन हाउसिंग स्कीम से। अगर एप्लिकेशन मनी 50 हज़ार है तो कुल डिपॉजिट पांच अरब रुपये। ये सारे पैसे बैंक में ही रहते हैं जब तक ड्रॉ न हो। कम से कम छह महीने। अ