
काटते हैं,
खोदते हैं,
समा जाते हैं
मेरे गर्भ के भीतर,
निकाल लाते हैं
काले हीरे,
चूहे मेरे दिल में
बिल बना लेते हैं।
जब होता है स्राव
रक्त का, मवाद का,
धमनियों में बाढ़ आती है,
डूबने लगते
हैं बिलबिलाते चूहे,
इमारतें ढह जाती हैं,
साँस घुटने लगती है।
फिर आती हैं
साइरन बजातीं गाड़ियाँ,
एंबुलेंस, पुलिस और पत्रकार,
काले हीरे का व्यापारी, नेता,<
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