क्रांति गीत
आवेगिक मन ही लिखता है
विद्रोह के गीत
सुप्त आग्नेयगिरी के शाब्दिक विस्फोट से
हिलने लगती है दीवारें,
मीनारें,
अट्टालिकाएं
और सिंहासन
कुछ शब्दों के मिलन से
रचना होती है
क्रांति गीत की
श्रीलंका बन जाता है हिरोशिमा
वर्षा श्री बन जाती है आतंक
राजपथ पर हजारों बंदूकें तैनात हो जाती हैं
लेकिन शब्द रुकते नहीं
कविता रुकती नहीं
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