
कुछ तो है
जो मुझे जीने नहीं देता,
सोने भी नहीं देता
एक पहर
निश्चिंत मन से
बार-बार चिल्लाता है
उठो
जागो
अब भी सुबह नहीं हुई है
मानो मुझे ही लाना होगा
सूरज
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कुछ तो है
जो मुझे जीने नहीं देता,
सोने भी नहीं देता
एक पहर
निश्चिंत मन से
बार-बार चिल्लाता है
उठो
जागो
अब भी सुबह नहीं हुई है
मानो मुझे ही लाना होगा
सूरज