
परिचय
नाथेश्वर के लिए लोगों से तालमेल बढ़ाना, परिचय देना, परिचय लेना आम बात थी, जिसको वो खास ढंग से करता था।
’’ मेरा नाम नाथेश्वर है और मैं नाथ नगर में छोटे से घर में रहता हूँ। ’’
’’ मेरा नाम कृपाशंकर है और मैं कृपा बंग्लो में रहता हूँ। ’’
’’ तब तो आप पर हमेश कृपा बरसती रहती होगी ? ’’ ठहाका लगाकर दोनों ने गर्मजोशी से हाथ मिलाया।
नाथेश्वर ने कहा ’’ कभी आइए घर पे, संग बैठ कर चाय पिएंगे। ’’
’’ जी जरूर, लेकिन मैं सड़क पर हुए परिचय को सड़क तक ही रखने की कोशिश करता हुँ। ’’
’’ तो अंजान व्यक्ति आपके घर जाकर अपना परिचय देते हैं ? ’’ ठहाका अकेले नाथेश्वर जी ने
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