एहसान
यकीनन बदला लेने के उद्देश्य से ही उसने ऐसा किया होगा, उसने खुद में ऐसा सोचा और रास्ता बदल लिया। उसके द्वारा भी रास्ता बदल कर पीछा करने के ही डर से मनोहर के रांेंगटे खड़े कर दिए थे। होनी-अनहोनी की भावना से मन ग्रसीत हो गया।
’’ हे भगवान मेरी सहायता करना। ’’ मनोहर ने मन ही मन ईश्वर से प्रार्थना किया और आगे को बढ़ गया। जिस आवाज को मनोहर अनसुना कर रहा था, वो आवाज अब स्पष्ट प्रतीत हो रही थी। वो चाहकर भी ’’ रूको, रूक जाओ ’’ शब्द को अनसुना नहीं कर पाया। इस बाबत मनोहर ने अपनी चहलकदमी बढ़ा ली थी। मनोहर को डर जरूर लगा पर उसको स्मरण हो आया कि माँ के लिए दवाई भी लेनी है। मेडिकल स्टोर पहूँच कर उसने जेब टटोल कर आश्वस्त क
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