
शिकवा नहीं किताब खोने पर,
खुशी है उसमें गुलाब होने पर,
किताब अब भी ज़हन में है मेरे,
हर्फ़ धड़कन से दिल में रहते हैं,
जैसे सुकून के समंदर में दिल का सफ़ीना हो,
ताउम्र ख़िज़ाँ के अर्से में बहारों का महीना हो,
उसकी छुअन पर गुलाब महकत
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