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किस्सा गुलाब और किताब ' हैरान '

किताब में रखा गुलाब ,
अपनी आब खो बैठा ।
वो भूल गए मुझको ,
मेरी किताब लेकर ।
मैं भी इश्क में उनके ,
अपनी किताब खो बैठा ।
किताब और गुलाब अब भी रहते एक ही साथ है,
लगी दिल की बुझा दे दमकल की कहाँ औकात है,
दूरबीन सपनों की और नींद का जब पहाड़ होता है,
हाथ में हाथ ओठों पर उसके मुस्कानों का वही गुलाब होता है

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