क्यों न तेरे जलवों के उजालों को सहर कह दिया जाए,
फ़ना हो गया जो इनकी जद में आया है,
क्यों न इन आँखों को भँवर कह दिया जाए,
हसीं ख्यालों की रोशनी और ख्वाबों की जिसमें राहें हों,
तेरे दिल को वो शहर कह दिया जाए,
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क्यों न तेरे जलवों के उजालों को सहर कह दिया जाए,
फ़ना हो गया जो इनकी जद में आया है,
क्यों न इन आँखों को भँवर कह दिया जाए,
हसीं ख्यालों की रोशनी और ख्वाबों की जिसमें राहें हों,
तेरे दिल को वो शहर कह दिया जाए,