
बचपन जीवन की एक विधा है,
मानवता का आदि सिरा है,
सरल तरल निर्मल उज्जवल, सतरंगी बूंद ओस की,
मात पिता जिस को बोते हैं,
समतल कर धरती उर्वर,
सिंचित करते प्रेम सुधा से,
वही
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बचपन जीवन की एक विधा है,
मानवता का आदि सिरा है,
सरल तरल निर्मल उज्जवल, सतरंगी बूंद ओस की,
मात पिता जिस को बोते हैं,
समतल कर धरती उर्वर,
सिंचित करते प्रेम सुधा से,
वही