
एक चेहरे पर कितने नकाब?
तुम हर नकाब उतार क्यों नहीं लेती?
सुना है पक्की हो दस्तावेजों की,
कभी अपनी जुल्मों का हिसाब क्यों नहीं लेती?
एक अरसा हुआ तड़पते हुए,
ये बताओ, मेरी जान क्यों नहीं लेती?
ऐसा-वैसा, ये-वो, अगर-मगर कहती हो...
फिर बेवफाई का इल्जाम क्यों नहीं लेती?
Read More! Earn More! Learn More!
