आओ प्रियतम हम तुम दोनों स्नेह भरा अनुराग करे
श्रद्धा पूरित अधरों का नवचुम्बन से सत्कार करें
कविता की भाषा से मैंने प्रियशी सब कुछ कह डाला
नयनों की भाषा से हमनें निज प्रेम प्रदर्शित कर डाला
आ जाओ अब अधरों की भाषा से गीतों का सार करें
और श्रद्धा पूरित अधरों का नवचुम्बन से सत्कार करे
नूतन वो सपने खिलते थे जब हम आलिंगन में मिलते थे
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