
बुलाया एक रोज़ जिंदगी को पास
पूछा कब तक दोगी तुम आश
देखती रही कुछ कहा भी नही
आँखों से भी कुछ बहा तो नही
चुप सी बैठी देखती रही वो
खोई खोई सी कही रोइ थी वो
सब कुछ उसी से उसका ही सब
उलझी हुई सी मिली थी जो अब
पूछा उसी से उल
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