
एक आसमान तलाशते है अरमान मेरे
कुछ दाग दबे थे जो दिखाने को
कितने रंग संजोये थे तूने ए जिंदगी
हासिल क्या क्या था फिर बताने को
चलते रहे राह गुज़रे जो अब तक
गुजारी वो राते फिर फ़ज़र के पाने को
साया भी अब तो थक सा गया है
एक ठौर ढूंढता है "राज"सुस्ताने को
उम्मीद कायम थी हर साँस पे मेरी
कौन पढ़ता था दुआ मेरे बचाने को
काश फिर बाग़बान की नज़र हो जाए
तपती थी ज़मी फिर जो मुरझाने को
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